गुरुवार, 3 मार्च 2011

देख तमासा रोटी का !


देख तमासा रोटी का........
रोटी खातिर सब हैं आये
MD आये DM आये
GM और AM भी आये
काम के खातिर हम भी आये
कुछ आये जीने के लिये
तो कुछ आये जाने के लिये
कुछ आये पीने के लिये
तो कुछ आये पाने के लिये
पर कोई अबतक न आया
जो कुछ करे श्रमिकों के लिये
श्रमदान के बलपर ही तो
अपना उल्लू सीधा करते
रूस, जापान की सैर हैं करते
संचित धन को हल्का करते
चुपके – चुपके पॉकेट भरते
बातें करते राष्ट्रहित की
पर काम तो करते अपने हित की
यदि किसी ने मुँह खोली तो उस बंदे की खैर नहीं है
उसके जैसा कोई बैर नहीं है
रोटी बिना कोई सैर नहीं है
रोटी गई तो और नहीं है
छोड़ सोचना इधर उधर का
सोच तु बस अपने तन का
और फिर देख तमासा रोटी का ।

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