उमेश कुमार यादव - मंचों पर भाषण देते समय और सरकारी आदेशों में ही राजभाषा विकास की बातें बहुत अच्छी लगती है पर वास्तविक धरातल पर इनके कथन और आदेश कहाँ तक व्यवहारिक रूप से खरे उतरते हैं,सोचने की जरूरत है ?
मंगलवार, 15 मार्च 2011
राजभाषा के हित में
* कड़वा सत्य - हिन्दी को राजभाषा न बनने में कहीं न कहीं ऊँचे पदों पर आसीन सरकारी कुर्सी तोड़ने वाले हिन्दी भाषी व्यक्तित्व की ही मेहरबानी है ।
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