गुरुवार, 3 मार्च 2011

गणतंत्र भारत का गणतंत्रता दिवस, 26 जनवरी –

विचार मन्थन योग्य बात यह है कि क्या आज भी आजाद भारत में आम आदमी आजादी की साँस ले रहा है ? गुलाम हम पहले भी थे और आज भी हैं, केवल चोला बदल गया है । पहले हम अंग्रेजों के गुलाम थे, आज हम अपनों के गुलाम हैं । अंग्रेजों के समय कुछ नियम कानुन थे पर आज सारे नियम कानुन ताख पर रख दिये गये हैं । नौकरशाह, नेता या बॉस जो करें वहीं नियम है । अंग्रेजों से आजादी तो मिली ठीक पर वह कागज पर ही रह गयी और आजतक कागज पर ही घुम रही है । हम केवल कागज पर ही लिखते-पढ़ते हैं कि हम आजाद हैं पर वास्तव में यह आजादी जमीनी हकीकत में आजतक तब्दील नहीं हो पाई । अपने हक के लिये अपनों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ता है फिर भी न्याय नहीं ! किसी के पास अनाज सड़ रहा है तो कोई खाये बगैर मर रहा है । यह कैसी आजादी

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