सोमवार, 8 अगस्त 2011

देख मोर मनवा रोई.............


दुराचारी और दुष्ट प्रवृति
जिस मनई की जाति
छोड़ न पयिहैं आदतें
कर लो कठिन उपाय
पापी और ये नीच आत्मा
सदा लात ही खात
कहत कबीर सुनो भाई साधो
याद रखो ये बात
पंडित नाम लिखाई के
पंडित भवा न जाय
कबीरा इस संसार में
पापी, नीच कछु लोग
मुँह में राम बगल में रानी
शर्म नहीं कछु थोड़
औरों की चिन्ता करे
पर अपनी चिन्ता छोड़
ज्ञान बाँटते रहते हरदम
अज्ञानी खुद होई
अपनी कोई सुध नहीं
पर औरों की सुध होई
ढोंगी ऐसे नरन को
देख मोर मनवा रोई
भगवन के संसार में
इनकी दुर्गती होई
एक दिन ऐसा आयेगा
जब होगा तेरा न्याय
धरती से जाने से पहले
होगा तेरा हिसाब ।

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